DNS Full Form in Hindi | डीएनएस का पूरा नाम हिंदी में | डीएनएस क्या है | DNS in Hindi | डीएनएस का इतिहास | History of DNS | डीएनएस के प्रकार | Types Of DNS in Hindi | Uses Of DNS | डीएनएस का उपयोग | डीएनएस द्वारा वेब एप्लीकेशन पर ट्रैफिक
डीएनएस इंटरनेट की एक प्रकार की फ़ोन बुक है. जिस प्रकार हम गूगल के माध्यम से कोई भी सामग्री खोजते है. तो वेब ब्राउज़र अलग अलग इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस के माध्यम से सूचना का आदान प्रदान करते है. DNS Domain Names को इंटरनेट प्रोटोकॉल में अनुवाद करता है. ताकि वेब ब्राउज़र इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री को पहुंचा कर सुचना प्रदर्शित कर सके. साधारण भाषा में कहे तो डीएनएस मानव के द्वारा पढ़े जाने वाले. Domain Names (RGCEI.Live) को मशीन द्वारा पढ़े जा सकने वाले इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस (192.168.0.0) में अनुवाद करता है तो चलिए जानते है. DNS का Full Form in Hindi, डीएनएस की सम्पूर्ण जानकारी
DNS Full Form in Hindi (डीएनएस का पूरा नाम हिंदी में)
Domain Name System DNS का Full Form होता है. और डीएनएस का हिंदी में पूरा नाम क्षेत्र नाम प्रणाली होता है यह एक ऐसा सिस्टम होता है. जो जटिल Alphanumerical Code को याद रखने की आवश्यकता को समाप्त करता है. क्योकि इंटरनेट से जुड़े सभी डिवाइस का एक Unique IP Address होता है IP (Internet Protocol) का उपयोग अन्य डिवाइस को खोजने के लिए किया जाता है. डीएनएस URL (Uniform Resource Locator) को उनके IP Address से जोड़ता है. डीएनएस की मदद से ही संख्याओं के स्थान पर शब्दो को लिखना आसान होता है.
Domain Name IP Address के माध्यम से इंटरनेट पर Query भेजता है. IP Address उस जगह पर स्थित वेबसाइट की सामग्री को प्राप्त कर IP Address के माध्यम से प्रदर्शित करता है. इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को डीएनएस मिनी सेकंड में सम्पूर्ण करता है. DNS को कई अन्य नामो से भी जाना जाता है. जैसे :- Name Server, Domain Name Server आदि
डीएनएस का इतिहास (History of DNS)
Stanford Research Institute द्वारा एक Hosts Text File बनायीं जो ARPANET पर कंप्यूटर को Numerical Address को Map करता था. इंटरनेट पर बढ़ते Surfing के कारण California University के Paul Mockapetris ने 1980 में Domain Name System का निर्माण किया। जिससे मानवीय भाषा को Alphanumeric (IP Address) में और IP Address को मानवीय भाषा में बदला जा सकता है. जिसके कारण वेब ब्राउज़र में IP Address के स्थान सीधे ही Domain Name लिख कर सामग्री खोजी जा सकती है. इंटरनेट पर Domain Name को तीन भागो में बांटा गया है.
- Generic Domain Name - यह एक साधारण Domain Name होता है. जिनके नाम से ही वेबसाइट की डाटा सामग्री का पता चल जाता है. Generic Domain Name के कुछ उदाहरण - GOV Domain Name का उपयोग सरकार से सम्बन्धित वेबसाइट के लिए उपयोग किया जाता है. EDU का उपयोग शैक्षणिक वेबसाइट से सम्बन्धित. NET का उपयोग Network Support Centers की वेबसाइट के लिए. COM का उपयोग Commercial Organization के लिए. ORG का प्रयोग Non Profitable Organization के लिए, INFO का उपयोग Information Service Provider के लिए, FIRM का प्रयोग व्यापार के लिए Domains Name होते है.
- Country Domain Name - इन सभी Domain Name को एक देश के लिए सुरक्षित रखा जाता है. जो मुख्यत: देश से नाम पर ही होते है. जैसे - India के लिए IN, United State के लिए US Etc.
- Inverse Domain Name - इस प्रकार के Domain Name का उपयोग Name के Address की Mapping के लिए किया जाता है.
DNS in Hindi (डीएनएस क्या है)
वर्तमान में इंटरनेट के अत्यधिक प्रचलन के कारण प्रत्येक डिवाइस। जैसे मोबाइल, टेबलेट, लैपटॉप, कम्प्यूटर, स्मार्टवॉच, गूगल होम आदि सभी इंटरनेट के माध्यम से आपस में जुड़े हुए है. इन सभी उपकरणो का एक Unique Number होता है. जिसे IP (Internet Protocol) Address कहा जाता है. जो दुनिया के सभी उपकरणो की पहचान करता है. लेकिन हर किसी के लिए उपकरण का IP Address याद रखना सम्भव नहीं होता है. इसमें Domain Name System अपनी भूमिका निभाता है. जो हमारे द्वारा इंटरनेट पर खोजे गए Domain Name को IP Address में बदलता है और उपकरण के IP Address का पता कर मानवीय भाषा में बदलता है. और उस उपकरण की सभी जानकारी हमारे सामने प्रदर्शित करता है.
Uses Of DNS (डीएनएस का उपयोग)
Web Page को प्रदर्शित करने के लिए 4 Domain Name System का उपयोग किया जाता है
- DNS Recursor - यह एक प्रकार का सर्वर होता जिसे डीएनएस रिजोल्वार भी कहा जाता है. जो. ऍप्लिकेशन्स (वेब ब्राउज़र) के माध्यम से Client Machines से Question Receive करता है. इसी के कारण वेब ब्राउज़र में अनेको सामग्री प्रदर्शित होती है. अर्थात DNS Client से Query प्राप्त करता है. फिर दूसरे DNS Server के साथ Interact करके सही इंटरनेट प्रोटोकॉल का पता लगता है. एक Resolver Client से अनुरोध करता है. जिसके कारण Resolver एक Client की तरह अपना डाटा देता है.
- Root Name Server - DNS Resolver Root Name Server से पूछताछ करता है. Root Name Server मानवीय भाषा को इंटरनेट प्रोटोकॉल में Translate करता है. यह Top Level Domain और TLD DNS Server के साथ प्रतिक्रिया करता है. Domain Data एकत्रित करके रखता है.
- Top Level Domain Name Server - इसके बाद Resolver TLD Server से Question पूछता है. और Authoritative Nameserver के IP Address के साथ प्रतिक्रिया देता है.
- Authoritative Name Server - फिर Resolver Original Server से Client को वापस भेज देता है. IP Address का उपयोग करके Client सीधे ही Original Server से Query प्राप्त करता है. और वास्तविक वेबसाइट अपना डाटा भेज कर वेब ब्राउज़र पर प्रदर्शित करता है.
डीएनएस के प्रकार (Types Of DNS in Hindi)
- TLD (Top Level Domain) - यह ऐसे डोमेन होते है जिनकी Authority बहुत उच्च होती है जैसे :- . Com , .Edu , .Org , .Net , .Biz , .Gov Etc. इनको दो भागों में बांटा जाता है. Generic Top Level Domain और Country Code Top Level Domain
- Second Level Domain - यह ऐसे डोमेन होते है जो Top Level Domain के बाद आता है जैसे :- .Co.in
- Third Level Domain - यह ऐसे डोमेन होते है जो Second Level Domain के पहले आता है अर्थात Dot से पहले का भाग Third Level Domain कहलाता है
- Sub Domain - Sub Domain का अर्थ होता है Top Level Domain के दो भाग अर्थात Main Website के पहले आने वाला नाम
डीएनएस द्वारा वेब एप्लीकेशन पर ट्रैफिक
- यहाँ नीचे दिए गए Step के अनुसार ही DNS अपनी Services प्रदान करता है.
- जब कोई व्यक्ति वेब ब्राउज़र में किसी URL को लिखता है और खोजता है
- URL में लिखी गयी सामग्री के लिए DNS Resolver को भेजता है जिसको Internet Service Provider (ISP) द्वारा Manage किया जाता है.
- Internet Service Provider के लिए DNS Resolver URL के अनुरोध को DNS Root Name Server पर. Send करता है.
- ISP के लिए DNS Resolver URL के लिए एक बार फिर से Request भेजता है. जो Top Level Domain के लिए. TLD Name Servers में से किसी एक को Top Level Domain के लिए Name Servers के नामों के लिए Request का उतर देता है जो URL Top Level Domain से जुड़े होते है.
- Internet Service Provider के लिए DNS Resolver Name Servers चुनता है. और URL की Request को Name Server पर Send करता है.
- Name Server URL Record में से Hosted Zone में दिखता है. और उससे जुड़े सम्बन्धित डाटा को प्राप्त करता है. जैसे Web Server के लिएइंटरनेट प्रोटोकॉल 198.168.0. 1 और DNS को IP Address देता है.
- अंत में ISP के लिए DNS Resolver के पास वह IP Address रहता है. जिसकी उपयोगकर्ता को आवश्यकता होती है. Resolver उस डाटा को वेब ब्राउज़र पर वापस लौटा देता है DNS Resolver Search किये गए URL के IP Address को सुरक्षित करता है जिससे अगली बार जरुरत पड़ने पर अधिक तेजी से डाटा प्रदर्शित हो सके.
- अर्थात वेब ब्राउज़र URL के लिए IP Address पर एक Request भेजता है. जो DNS Resolver प्राप्त करता है. यह वो स्थान होता है. जहाँ डाटा रहता है.
- इसके बाद Web Server पर URL के Web Pages को वेब ब्राउज़र पर लौटाता है और वेब ब्राउज़र उस Web Page को प्रदर्शित करता है.
DNS Full Form in Hindi FAQ
डीएनएस क्या होता है ?
डीएनएस एक ऐसा सिस्टम है जो Domain Name को Internet Protocol Address अर्थात संख्याओं में परिवर्तित करता है. जिससे वेब ब्राउज़र यह समझ सके की हम इंटरनेट पर कौनसे वेब पेज की जानकारी प्राप्त करना चाहते है.
DNS का Hindi में Full Form क्या होता है ?
Domain Name System DNS का Full Form होता है और डीएनएस का हिंदी में पूरा नाम क्षेत्र नाम प्रणाली होता है.
History Of DNS क्या है डीएनएस का इतिहास ?
सबसे पहले Stanford Research Institute द्वारा एक Hosts Text File बनायीं. जो ARPANET पर Computer को Numerical Address को Map करता था. इंटरनेट पर बढ़ते Surfing के कारण California University के Paul Mockapetris ने 1980 में Domain Name System का निर्माण किया.
DNS के कौन कौनसे भाग होते है ?
DNS को तीन भागो में बांटा गया है. एक Generic Domain Name जिसे Top Level Domain भी कहा जाता है. दूसरा Country Domain Name जो एक Particular देश के लिए सुरक्षित रखे जाते है. और तीसरा Inverse Domain Name जो Name की Mapping के लिए उपयोग में लिया जाता है.
DNS कैसे कार्य करता है ?
इंटरनेट पर प्रत्येक Device का एक IP Address होता है. जिसे याद रखना संभव नहीं. जिसके लिए Domain Name System मानवीय भाषा को IP Address में बदलता है. और उस उपकरण तक पहुँचा उसकी समस्त जानकारी हमारे वेब ब्राउज़र पर प्रदर्शित करता है. जिसके लिए वह 4 चरणों का उपयोग करता है. DNS Recursor, Root Name Server, Top Level Domain Name Server, Authoritative Name Server.
DNS के कितने प्रकार होते है ?
DNS के चार प्रकार होते है. Top Level Domain जो URL का अंतिम भाग होता है. इसके बाद Second Level Domain जो Top Level Domain के पहले का भाग होता है. Third Level Domain Second Level Domain के पूर्व का भाग होता है. चौथा भाग Sub Domain होता है. जो एक ही Top Level Domain को दो भागो में बांटता है.